होशंगाबाद शिक्षा सरिता

होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम की 50वीं व एकलव्य संस्था के 40वीं वर्षगाँठ पर — नदी थीम पर विशेष आयोजन | नर्मदापुरम, 28 नवम्बर 2022

Mihir Pathak
LearningWala STUDIO

--

तत्कालीन होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) ने पूरे विश्व को स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए शिक्षाविदों, सरकारी तंत्र, स्कूली शिक्षकों और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सम्भव अकादमिक साझेदारी की एक मिसाल प्रस्तुत किया है। होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम (होविशिका) एक ऐसा मॉडल दे सका जिसमें सरकारी स्कूल की शिक्षा — जो आज समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े बच्चों की शिक्षा का बड़ा तंत्र है — को बेहतर बनाने का रास्ता बताता है। यह कथन हैं प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर अनिल सद्गोपाल के। वे होविशिका की 50वीं व एकलव्य संस्था के 40वीं वर्षगाँठ पर नदी थीम पर आयोजित कार्यक्रम — होशंगाबाद शिक्षा सरिता — में 27 नवम्बर को शामिल हुए।

होशंगाबाद शिक्षा सरिता का तीन दिवसीय कार्यक्रम 25–27 नवम्बर को नर्मदापुरम में संपन्न हुआ| इसके तहत मालाखेड़ी स्थित एकलव्य परिसर में नदी और पानी थीम पर बाल मेला और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया| फ़ोटो प्रदर्शनी में नर्मदा नदी के साथ-साथ विभिन्न नदियों की तसवीरें व अवैध रेत खनन के ऊपर पोस्टर, तथा नदी पर लिखी गई कविताओं के पोस्टर प्रदर्शित किये गए| दो दिन में ज़िले के सभी सातों विकासखंडों से्थितद मेंहैं प्रसिद्ध शिक्षाविद् प्रोफेसर अनिल सद्गोपाल के। वे होशंगाबाद शिएक मिसाल प्रस्तुत किया सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल के लगभग 600 बच्चों ने भागीदारी की| बच्चों ने कहानी वाचन, पेंटिंग, नेचर जर्नलिंग, ओरिगामी, पानी से जुड़े विज्ञान के प्रयोग, कहानी, फिल्म प्रदर्शन, आदि में भाग लिया|

पहले दिन के कार्यक्रम में अनु गुप्ता और संकेत करकरे द्वारा लिखी एवं एकलव्य द्वारा प्रकाशित किताब का विमोचन भी किया गया|

इनके अलावा बच्चों और बड़ों ने गोंड-परधान शैली की सुप्रसिद्ध चित्रकार पद्मश्री दुर्गाबाई और उनके साथियों के साथ मिलकर नदी और नदी से जुड़े लोगों के जीवन को कैनवास पर उतारा| पिपरिया से मिटटी की कलाकृतियाँ और खिलौने बनाने के लिए कलाकार प्रेमलता ने भी बच्चों के साथ काम किया|

नदी यात्रा करते हुए नदियों का अध्ययन कर रहे भूगोल-शास्रज्ञ जितेन्द्र ‘जीत’ ने भी नदियों से जुड़े लोगों के जीवन और पर्यावरण के बारे में बच्चों के साथ अपनी यात्राओं के किस्से साझा किये|

To watch recording (https://www.instagram.com/tv/ClbOlvdpQLp/?utm_source=ig_web_copy_link)

कार्यक्रम में दूसरे दिन यानी 26 नवम्बर को संविधान दिवस के अवसर पर मुस्कान संस्था से आए बच्चों तथा एकलव्य व मुस्कान के कार्यकर्ताओं ने संविधान और नदी के समावेशी भाव पर एक सुरीली संगीत संध्या का आय़ोजन भी किया।

तीसरे दिन होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम, सामाजिक विज्ञान कार्यक्रम और प्राथमिक शिक्षण कार्यक्रम से जुड़े लगभग 40 स्रोत शिक्षकों और वर्तमान में स्कूल में पढ़ाने वाले 20–25 शिक्षकों के बीच आदान-प्रदान हुआ। अनौपचिरक मेल-मिलाप के भावभीने अनुभव के बाद स्रोत शिक्षकों ने इन नवाचारी शिक्षण कार्यक्रमों से जुड़े अनुभव साझा किये जिसमें इन कार्यक्रमों में बच्चों द्वारा खोज और प्रयोग करके सीखने पर विशेष ज़ोर देने को आज के शिक्षा की ज़रुरत भी माना गया|

To watch recording of talk (https://www.instagram.com/tv/CldZUmOJ2Aw/?utm_source=ig_web_copy_link)

होविशिका से शुरुआत से जुड़े प्रोफेसर सदगोपाल ने कार्यक्रम की प्रेरणा और शुरुआती चुनौतियों को याद करते हुए कहा कि आज के समय की शिक्षा की ज़रूरतों को होविशिका ने आज से 40–50 साल पहले ज़मीन पर उतारकर दिखाया, जिसमें परीक्षा के एवज में समझने के लिए सीखने पर जोर था और बच्चों में सवाल पूछने और प्रयोग करके सीखने पर जोर दिया जाना प्रमुख था|

गौरतलब है कि होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत 1972 में हुई, जब वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह ने विभिन्न नीति निर्देशों में परिकल्पित स्कूली विज्ञान शिक्षण का एक मॉडल विकसित करने की दृष्टि के साथ मध्य प्रदेश तत्कालीन होशंगाबाद ज़िले के दो विकासखंडों में स्थित 16 मिडिल स्कूलों में एक पायलट किया| आगे चलकर इस कार्यक्रम तथा शिक्षा में नवाचार के अन्य कामों को अंजाम देने के लिए एकलव्य संस्था का निर्माण किया गया। (होविशिका) कार्यक्रम 30 वर्ष तक मध्य प्रदेश के महाकौशल, निमाड़ और मालवा क्षेत्रों के 15 जिलों में फैला जिसमें 1000 से अधिक स्कूल, 2000 से अधिक शिक्षक और लगभग 200 स्त्रोत शिक्षक और देश के प्रमुख अनुसंधान और उच्च शिक्षा संस्थानों से लिए गए स्त्रोत व्यक्ति जुड़े रहे| बाद में एकलव्य ने प्राथमिक शिक्षा तथा माध्यमिक स्तर पर सामाजिक अध्ययन शिक्षण के क्षेत्रों में भी नई पहल कीं जिनका योगदान देश भर के शैक्षिक नवाचारों पर पड़ा।

27 नवम्बर की सुबह लगभग 30 सहभागियों ने नदी, उसकी पारिस्थितिकी और तट के पास रहने वाले लोगों के जीवन से उसके जुड़ाव को समझने के लिए नदी-भ्रमण किया। कुछ लोगों ने लोगों के साक्षात्कार लिए, कुछ ने स्केच बनाए, कुछ ने कविताएँ लिखीं, कुछ ने बस नदी को करीब से अनुभव किया।

To watch the recording (https://www.instagram.com/tv/ClpbyYQpm1I/?utm_source=ig_web_copy_link)

इस 3-दिनी कार्यक्रम का अन्त 27 नवम्बर को नर्मदा के किनारे स्थित सेठानी घाट पर नदी थीम पर बुने गए पोस्टर प्रदर्शनी, दुर्गाबाई व साथी कलाकारों द्वारा स्कूली बच्चों के साथ बनाई नर्मदा की कहानी की 10 मीटर लम्बी पेंटिंग तथा एकलव्य व मुस्कान संस्था के कार्यकर्ताओं व मुस्कान के स्कूल में पढ़ने ले बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक बहुभाषाई नदी-संगीत कार्यक्रम के साथ हुआ।

Written by Karuna, Photos and Videos by different team members, compiled by Mihir 😄🤟🤗

--

--