Wooly Bear Caterpillar

सुबह स्कूल पहोचा तो सिर्फ़ कल्याणी दीदी आए थे

प्रमन आया

कल्याणी दीदी ने रंगोली बनाई

कीर्ति आइ

फिर तो धीरे धीरे लेमन सोडा में बल बुले उभरते है वैसे बिमि उभरने लगा ।

में आरा रूम में पहोचा तो

मायरा और तनमय डब्बे खोल के बैठे थे ।

आज रचना नहीं आने वाली थी इसलिए मैने ठान के रखा था की में इस ग्रुप के साथ रहूँगा ।

नम्रता दी से भी यही बात हुई और जूली दी को आउटडोर के लिए मना कर दिया

क्या तुम्हें लंगड़ी करना आता है ?

मैने तन्मय और मायरा से पूछा

हाँ मुझे तो आता है । — मायरा बोली

चलो हम खेलते है ।

दोनो तैयार हो गए ।

नम्रता दी ने सजेस्ट किया की प्रेगासीस में खेल सकते हो आज डोज़ बोल वाले खिलाड़ी नहीं है ।

हम पहोच गए ।

हमने लंगड़ी से खेल शुरू किया ।

तन्मय को लंगड़ी नहीं आती थी तो वो सीधा दोड के ही पकड़ने लगा ।

मायरा उसे ज्ञान देती रही

“तुम करके तो देखो

जब तक तुम करोगे नहीं तुम्हें कैसे आएगा ?”

तन्मय तो अपनी धुन में था ।

थोड़ी देर में यदु नम्रता दी भी खेल में जुड़ गए ।

थोड़ी देर हमने फ़रोग़ जंप भी किया । पर कोई फ़रोग़ की तरह कूद नही पा रहा था ।

बच्चों को खेल में एंगेज देख मुझे और कुछ खेल खेलने के विचार आने लगे ।

में रिसोर्स रूम में जा के प्लास्टिक बोतल का बास्केट ले के आ गया ।

आनवी अपने बेस्ट फ़्रेंड के साथ आउटडोर में ना जा कर हमारे साथ खेल में जुड़ गई ।

हमने चार गोले बनाए । सबने खुदसे गोले के नीचे अपने नाम लिखे । सामने बोतल से भरा बास्केट रखा ।

एक बार में एक ही बोतल लाना है । दोड के आओ और अपने गोले में बोतल रखो । देखते है कौन सबसे ज़्यादा बोतल ला पता है ?

सब शुरू हो गए । आख़िर में आनवी ने सारे बोतल गिने ।

बोतल बड़ी आकर्षक चीज है । बोतल हाथ में आते ही जँच खिलाड़ीयो को नया खेल सूझा । मायरा और तन्मय

बोतल लेके ज्यूस और किताबों की दुकान बनाने में लग गए ।

यदु अंतरा के साथ सेंड में खेलने चला गया ।

इस दौरान ध्रुव भी जुड़ गया था जो अपनी ज़िप से खेलता रहा ।

विमोक्ष बोतल में से कुछ क्राफ़्ट बनाने लगा था । मैने उसे आइडिया दिया की कुछ म्यूज़िक इंस्ट्रुमेंट बना सकते है क्या ?

फिर हमने साथ में मिल के बोतल में बिड्ज़ , रेत , पानी अलग अलग चीजें भर के संगीत उपजाने का प्रयास किया ।

आनवी भी बीच बीच में जुड़ती रही । उसको बोतल बजाने में मज़ा आ रहा था।

विमोक्ष और आनवी दोनो ही अभी बीट नहीं पकड़ पा रहे थे । पर शायद थोड़ी प्रेक्टिस से हो जाएगा।

मोंटेसरी का प्रसिध ताल का खेल खेल सकते है ।

बाक़ी लोग अपना अपना कुछ खेल रहे थे ।

बीच में सनेक टाइम भी चलता रहा ।

फिर हम साथ में उत्कर्ष पार्क गए ।

वहाँ पे हमने टाइगर मोथ केटरपिलर देखे । बहोत सारे ।

ध्रुवने तो देख ते ही एक पे कूद के मार दिया ।

थोड़ी देर हम पार्क में खेले

फिर पुलिस आंटी ने हमें भगा दिया क्यों की पार्क सुबह ५ से ९ बजे तक ही खुला रहेता है ।

हम वापस आ गए ।

वापस आ के सब ज़्यादातर अपनी अपनी तरह से ही खेल रहे थे ।

आनवी गल्यू आर्ट बना रही थी । यदु अंतरा के साथ सेंड में खेल रहा था ।

अंतरा उस को अलग अलग मटीरियल देती रहेती थी जैसे की पेपर बोल बना के देना ।

टिन बोतल बजाने के लिए देना वगेरा ।

१ बजे तक यही सब चलता रहा और फिर सब खिलाड़ी बारी बारी से अपने घर :)

कुछ रिफकेशन :

  • आज की कोई भी गतिविधि प्लान नहीं की थी । पर बच्चों के साथ इस तरह के खेल खेले जा सकते है, देवेलोपमेंटल नीड़ को ध्यान में रख के खेलने चाहिए एसा मन में था । जो आज मौक़ा मिलते ही कर लिया । ये सारी चीजें प्लान कर के भी कर सकते है । अच्छे से प्लान करो पर फिर जो सामने है उसको महसूस कर के इमप्रोवाइज करो ।
  • छोटे बच्चों के साथ रिसोर्सफूलनेस और एनर्जी होना बेहद ज़रूरी है । अभी ये चीज़ कर सकते है , ये खेल खेल सकते है , ये खिलोना बना सकते है । ये एक्सप्लोर कर सकते है । ये तुरंत तुरंत ध्यान में आना चाहिए । बच्चे के रिस्पोंस को देखते हुए तुरंत तुरंत गतिविधि में बदलाव भी ज़रूरी होता है ।
  • अंतरा ने एक सुंदर बात कही थी की बच्चों को रूपांतरण देखने में बड़ा मज़ा आता है । आलू — ब्रेड — सोस में से सेंडवीच बन गई । बोतल में से म्यूज़िक बज रहा है । जहाँ कोई चीज़ में कुछ करने से तुरंत बदलाव दिखता है वे चीज़ बच्चों को बेहद भाती है ।
  • तुम खेलो में बैठ के देखता हूँ वाली बात ज़्यादा कारगर नहीं होती । पूरे माहोल को एक लेवल पे लाने के लिए आप को खुद खेल में जुड़ना पड़ेगा ।
  • इंद्रियो के विकास के कौनसे खेल खेले जा सकते है । छोटे छोटे विस्मय को कैसे ध्यान में ला सकते है । जैसे की कोई पत्ता , कोई सीड , केटरपिलर , बोतल में से आवज , फ़रोग़ जंप, पार्क में जाते वक्त किनारे वाले रास्ते पे संतुलन बना के चलना
  • किथ वोरन की एक किताब “समझ के लिए तैयारी” इस तरह के खेलो का सुंदर कलेक्शन है । उसके अलावा प्याज़ें ने संतुलन , आयतन की समझ के लिए कुछ रसप्रद खेल सुझाए है वो आने वाले दिनो में एक्सप्लोर कर सकते है । (https://www.arvindguptatoys.com/arvindgupta/Understanding.pdf)
  • अंतरा ने भी लकड़े में से सीसों बनाने का आइडिया दिया जो मुझे बहोत पसंद आया ।
  • किचन और नेचर वोक मुझे दो एसी जगाहे लगती है जहाँ इस उम्र के बच्चों के लिए बेहद ज़रूरी लर्निंग के मौक़े छिपे हुए है ।
  • यदु के साथ अंतरा ने काफ़ी समय बिताया, काफ़ी कुछ अवलोकन उभर के आए होंगे वो एक दिन बैठ के सुनने चाहिए ।
  • बच्चे नई चीजें सीखना चाहते है , बच्चे कर सकते है और आज नहीं तो कल करेंग, जो भी गतिविधि है वह अर्थपूर्ण है और कुछ ना कुछ वेल्यू एड करेगी — इस तरह का विश्वास ही पूरे नित्यक्रम को अर्थपूर्ण और संतोषकारक बनता है ।

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Traveling Educator, Writer & Earth Educator Fellow 22’

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